हैदराबाद, भारत, July 23, 2018 /PRNewswire/ --
भारत में सामने आए चिकित्सा क्षेत्र के एक और चमत्कार के तहत हैदराबाद के Rainbow Children's Hospital में दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे छोटे शिशु को सफलतापूर्वक डिलीवर कराया गया। इस बच्ची, Cherry के माता-पिता, Nitika और Saurabh छत्तीसगढ़ से हैं। गर्भाधान के केवल 25 सप्ताह बाद ही (अपेक्षित तिथि से लगभग 4 महीने पहले) Cherry ने जन्म ले लिया और Dr. Dinesh Kumar Chirla, डॉयरेक्टर, इंटेंसिव केयर सर्विसेज, Rainbow Hospitals के नेतृत्व में विविध क्षेत्रों के चिकित्सकीय विशेषज्ञों की टीम द्वारा उसे गहन चिकित्सा सेवायें उपलब्ध कराई गईं। अस्पताल से डिस्चार्ज करने के समय शिशु का वजन 1.980 किग्रा. था।
(Photo: https://mma.prnewswire.com/media/720538/Baby_Cherry_Parents_Rainbow_Hospital.jpg )
यह Nitika का पांचवां गर्भ था और इससे पहले चार बार उनका गर्भपात हो चुका था। मां बनने की यह उनकी आखिरी उम्मीद और मौका था। लगभग 24 सप्ताह तक अल्ट्रासाउंड यह दर्शाता रहा कि शिशु के आसपास एम्नियोटिक फ्ल्यूड बहुत कम है। उसका वजन केवल 350 ग्राम था, और मां से शिशु को पहुँचने वाले खून में भी गंभीर रूप से कमी थी। गर्भाशय में शिशु के जीवित रह पाने की संभावना बहुत कम थी। पति-पत्नी ने कई अस्पतालों और डॉक्टरों से परामर्श लिया। हालांकि कोई भी उनका केस लेने को तैयार नहीं हुआ क्योंकि शिशु के बचने की संभावना बहुत कम थी। फिर उन्हें Rainbow Children's Hospital के लिए रेफर किया गया।
तब Rainbow Children's Hospital में उनकी मुलाकात नियोनैटोलॉजिस्ट से हुई। टीम ने पति-पत्नी को आश्वस्त किया कि वे 24 से 25 सप्ताह के गर्भस्थ शिशुओं के मामले अक्सर देखते रहे हैं। हालांकि इससे पहले Rainbow में सबसे छोटा बचाया गया बच्चा 449 ग्राम का था। इसके अलावा, नियोनैटल टीम मामले को लेने के लिए तैयार हो गई और Nitika को Rainbow hospitals में पॅरीनेटल सेंटर में डिलीवरी कराने की सलाह दी गई। Nitika को एम्बुलेन्स में शिफ्ट किया गया और Rainbow Hospital पहुंचाया गया।
पॅरीनेटल टीम में शामिल एनस्थेटिस्ट, सीनियर गाइनकॉलजिस्ट और नियोनैटोलॉजिस्ट इन सभी ने डिलीवरी कराने की एक विस्तृत योजना बनाई। 27 फरवरी को निकिता ने 375 ग्राम की एक बच्ची को जन्म दिया। उसकी लंबाई केवल 20 सेमी थी, और वह हथेलियों में ही पूरी समा जाती थी। अभिभावकों को आश्वस्त किया गया कि अस्पताल इस पूरे मामले में उनका साथ देने के लिए तैयार है।
Cherry के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. Ramesh Kancharla, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डॉयरेक्टर, Rainbow Group of Hospitals ने कहा कि, "हम अपने उन्नत पॅरीनेटल सेंटर की वजह से एक ऐसे शिशु को बिल्कुल स्वस्थ उसके घर भेजने में सफल हुए, जिसका वजन जन्म के समय केवल 375 ग्राम था।" उन्होंने कहा कि, " नन्हें शिशुओं को बचाने के लिए ऐसी विशेषज्ञता विकसित करने में लगभग 20 वर्षों का कठिन परिश्रम लगा है। ऐसे परिणाम देने के लिए हमें कटिबद्ध ऑब्स्टेट्रीशियन, एनस्थेटिस्ट, फीटल मेडिसिन स्पेशलिस्ट और नियोनैटोलॉजिस्ट की टीम चाहिए थी।" उन्होंने बताया, " Cherry की जान बचाने में एक बहुत समर्पित और प्रतिबद्ध नर्सिंग टीम की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। नियोनैटल इंटेंसिव केयर यूनिट देश में सबसे आधुनिक और सुसज्जित है और यहां विशेषज्ञ नियोनैटोलॉजिस्ट की सबसे सुयोग्य टीम मौजूद है।" उन्होंने यह भी बताया कि, "Rainbow नियोनैटल, पीडियाट्रिक और ऑब्स्टेट्रिक केयर के क्षेत्रों में हर साल क्लीनिकल उत्कृष्टता तथा बेंचमार्क बेहतर बनाने के लिए तत्परता से प्रयासरत है।"
इस मामले पर प्रकाश डालते हुए डॉ. Dinesh Kumar Chirla, डॉयरेक्टर, इंटेंसिव केयर सर्विसेज, Rainbow Hospital ने कहा, "जन्म के बाद के शुरूआती 3-4 दिन बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इस दौरान शिशु बहुत नाजुक होते हैं। खासतौर से, इस मामले में, बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां थीं जैसे कि ऑक्सीजन स्तर और रक्तचाप में गिरावट। शिशु के अत्यन्त छोटे आकार की वजह से हमें लगाने के लिए सबसे छोटी श्वास नली चाहिए थी। इसके अलावा शिशु को सांस लेने में समस्या(PDA) भी थी, जो जन्म के बाद आमतौर पर प्रत्येक में बंद हो जाती है लेकिन Cherry के मामले में बंद न होने और बड़ी होने की वजह से ऑक्सीजेनेशन की समस्या थी जिसके लिए हमें विशेष दवाएं देनी पड़ीं और शिशु को सांस लेने में सहायता के लिए वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। सौभाग्य से इस बच्चे में मस्तिष्क से रक्त का कोई रिसाव नहीं हो रहा था।"
5वें दिन, Cherry के फेफड़ों में रक्तस्राव हुआ और उसे हाई फ्रीक्वेंसी ऑसिलेशन वेंटिलेटर नामक खास वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा। उसकी समस्या सफलतापूर्वक प्रबंधित कर ली गई। हालांकि उसे लगभग 105 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। उसे अनेक आपातस्थितियों से गुजरना पड़ा जिनसे उसे सफलतापूर्वक बचा लिया गया।
Cherry का मामला खासतौर से जटिल था क्योंकि इसमें अनेक बाधाएं थीं जिनमें पीलिया, आहार संबंधी कठिनाइयां, कई रक्त आधान, और फेफड़ों में जीर्ण रोग शामिल थे। Rainbow Hospitals में चिकित्सकीय टीम की विशेषज्ञ देखभाल के द्वारा Cherry का वज़न निरंतर बढ़ता गया और उसकी हालत सामान्य होती गई। अस्पताल में 128 दिन तक रखने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। अब वह बिना सपोर्ट के सांस लेती है। वह सीधे आहार ग्रहण करती है और उसका तापमान तथा अन्य लक्षण दूसरे सामान्य शिशुओं जैसे हैं। फॉलो-अप के समय उसका वजन 2.14 किग्रा. था।
Cherry की मां Nitika ने अपनी खुशियाँ ज़ाहिर करते हुए कहा, "Rainbow Hospital के डॉक्टरों से मिलने से पहले हम पूरी तरह से उम्मीद छोड़ चुके थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने शिशु को जीवित देख सकूँगी। अनेक कठिनाइयों से जूझने के बाद आखि़रकार वह अपने घर आ रही है। Rainbow Hospital के विशेषज्ञों की मैं हार्दिक आभारी हूं जिन्होंने उसकी इतनी देखभाल की और हमने उसका नाम Cherry ही रखे रखने का फैसला किया है।" Cherry के पिता की दृढ़ता, धैर्य, और अटूट विश्वास शिशु की प्राणरक्षा का आधार बना। cherry को घर भेजने की खुशी व्यक्त करते हुए डॉ. Dinesh Kumar Chirla, डॉयरेक्टर, इंटेंसिव केयर सर्विसेज, Rainbow Hospitals ने अपनी टीम को धन्यवाद देते हुए कहा, "टीम कार्य की वजह से ही हम Cherry को उसके घर भेज पा रहे हैं। चौबीसों घंटे विशेषज्ञ नियोनैटोलॉजिस्ट के पर्यवेक्षण और उत्कृष्ट नर्सिंग देखभाल तथा उन्नत सुविधाओं और इन-हाउस ऑब्स्टेट्रिक और फीटल मेडिसिन टीम को इसका श्रेय जाता है। गाइनकॉलजिस्ट्स और नियोनैटोलॉजिस्ट्स की बड़ी टीम ने मदद की और Cherry को उसके घर भेजने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।"
अपनी शुरूआत से, Rainbow Hospitals ने समयपूर्व पैदा हुए 5000 से अधिक शिशुओं की प्राणरक्षा की है, जिनमें से कुछ बहुत ही छोटे थे और जिनका जीवित रह पाना मुश्किल था। वर्ष 2016 में समय-पूर्व जन्म से जुड़े मसलों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए Rainbow Hospitals ने 'World Prematurity Day' के उपलक्ष्य में समय-पूर्व जन्में 445 बच्चों का एक कार्यक्रम आयोजित किया। यह समय-पूर्व पैदा हुए बच्चों का एक छत के नीचे आयोजित किया गया सबसे बड़ा समारोह था। इस समारोह ने वर्ष 2012 में अर्जेन्टीना में 386 शिशुओं को लेकर आयोजित किए गए कार्यक्रम का चार साल पुराना रिकार्ड तोड़ दिया। यह रिकार्ड, Rainbow Hospitals के डॉक्टरों, नर्सों, और कर्मचारियों द्वारा दी जाने वाली समर्पित सेवा के लिए बहुत विशिष्ट सम्मान है, जिनका मानना है कि हर बच्चे को जीवित रहने का अधिकार है।
Rainbow Children's Hospital के बारे में:
Rainbow Group की सफल यात्रा की शुरूआत 14 नवम्बर, 1999 को हुई थी, जब इन्होंने नवजात शिशुओं, बच्चों, और किशोरों के लिए विशेष स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के साथ हैदराबाद में बच्चों का प्रथम टर्शियरी केयर अस्पताल स्थापित किया था। आज Rainbow Hospitals भारत में बच्चों और मातृत्व देखभाल का सबसे बड़ा स्पेशलाइज्ड अस्पताल है जहां 1000 से अधिक बेड हैं, और 30% बेड नियोनैटल और पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर सेवाओं के लिए समर्पित हैं। इस ग्रुप के अस्पताल हैदराबाद, बेंगलुरू, विजयवाड़ा, दिल्ली में स्थित हैं और जल्द ही चेन्नई के वेस्ट सइदापेट में शुरू होने वाला है। Rainbow भारत में बच्चों का ऐसा प्रथम अस्पताल है जिसे NABH मान्यता प्राप्त है और जहां के क्लीनिकल परिणाम लगभग विकसित देशों के जैसे ही हैं।
15 से अधिक इनपेशेंट सुपर स्पेश्यलिटीज और बच्चों के इलाज हेतु स्पेश्यलिटीज में शामिल हैं: नियोनैटोलॉजी, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर, नियोनैटल इंटेंसिव केयर, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, हैमेटोलॉजी और आंकोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियोलॉजी और न्यूट्रीशन। चिकित्सा तकनीक क्षेत्र में अत्याधुनिक उत्कृष्ट उपकरणों से सुसज्जित तथा अनेक क्लीनिकल विशिष्टताओं के विशेषज्ञ डॉक्टरों और सलाहकारों से युक्त यह संस्था इसके बात के लिए ठोस प्रयास करती है कि बच्चों के लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा चुनने के मामले में वे आपकी बेजोड़ पसंद बन सकें। समर्पित डॉक्टरों तथा विशेषज्ञों की उनकी टीम गाइनकॉलजी विभाग को सर्वोत्तम बनाती है तथा उत्कृष्ट ऑब्स्टेट्रिक और फीटल मेडिसिन टीम महिलाओं को सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करती हैं। अस्पताल, भावी माताओं को बच्चों के जन्म के लिए तैयार भी करता है और उनके लिए मातृत्व के पूरे सफर को सुखद बनाता है।
Rainbow group of hospitals की सुदृढ़ सेवाएं प्रतिवर्ष 7 लाख से अधिक वाह्यरोगियों तथा 50,000 भर्ती मरीजों को प्रदान की जाती हैं। हर साल 3000 से अधिक सर्जिकल प्रक्रियाओं, और 8000 ICU भर्तियों के साथ यह अस्पताल, अपने यहां आने वाले हर रोगी को विशेषज्ञ देखभाल प्रदान करता है। पिछले 19 वर्षों में, Rainbow Children's Hospital देश में बच्चों के अग्रणी तथा सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल के रूप में उभरा है जिसे असाधारण सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें समय-पूर्व जन्मे बच्चों के सबसे बड़े सम्मेलन का Rainbow Hospital द्वारा हैदराबाद, तेलंगाना, भारत में 17 नवम्बर 2016 को आयोजन करके बनाया गया गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड भी शामिल है। Rainbow Hospitals को ICICI Lombard और CNBC-TV 18 India Healthcare पुरस्कार बेस्ट सिंगल स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल 2010, 2014 और 2018 में, तथा VCCircle हेल्थकेयर पुरस्कार- सिंगल स्पेश्यलिटी सर्विस कंपनी ऑफ दि ईयर का पुरस्कार 2016 में प्राप्त हुआ है।
मीडिया संपर्क:
Jasmeet Gurudatta
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