NIUA और RMI की नई रिपोर्ट में भारत के लिए उन प्रमुख डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों की पहचान की गई है, जिनमें 2050 तक 8 गीगाटन उत्सर्जन में कटौती की क्षमता है
नई दिल्ली, 23 मई, 2025 /PRNewswire/ -- National Institute of Urban Affairs (NIUA) और RMI ने आज एक नई रिपोर्ट, Build Right for the First Time: Scaling Adoption of Net-Zero Carbon Buildings in India जारी की, जो भारत में तेजी से बढ़ते भवन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए डेटा-संचालित रोडमैप प्रस्तुत करती है।
भारत के शहरी परिदृश्य में विस्तार के साथ-साथ इसकी इमारतों का कार्बन फुटप्रिंट भी बढ़ता जा रहा है। इस रिपोर्ट में पांच उच्च प्रभाव वाली डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों की पहचान की गई है, जिन्हें यदि व्यापक रूप से क्रियान्वित किया जाए तो 2050 तक कुल मिलाकर 8 गीगाटन (GT) तक परिचालन और सन्निहित कार्बन उत्सर्जन को समाप्त किया जा सकता है - जो भारत के वर्तमान वार्षिक उत्सर्जन का लगभग तीन गुना है।
रिपोर्ट यहां पढ़ें: https://rmi.org/insight/build-right-the-first-time
रिपोर्ट में भारत में निर्मित पर्यावरण को कार्बन मुक्त करने के लिए कार्रवाई योग्य कदम उठाने की सिफारिश की गई है। यह प्रकाशन,
- भारतीय संदर्भ में "शुद्ध-शून्य कार्बन निर्माण" की एक मानकीकृत परिभाषा प्रस्तावित करता है;
- पांच उच्च प्रभाव वाले डीकार्बोनाइजेशन उपायों और परिचालन और सन्निहित कार्बन उत्सर्जन को कम करने की उनकी क्षमता का गहन विश्लेषण प्रदान करता है;
- कुल भवन क्षेत्र CO2 उत्सर्जन, ऊर्जा और उत्सर्जन में कमी की क्षमता, और प्रत्येक उपाय को अपनाने की कुल लागत का आकलन करता है;
- भारत में शुद्ध-शून्य कार्बन इमारतों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यवहार परिवर्तन रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिसमें नीति निर्माताओं, रियल एस्टेट डेवलपर्स और उद्योग पेशेवरों सहित विभिन्न हितधारकों को लक्षित किया गया है; और
- क्षेत्रीय स्तर पर प्रस्तावित उपायों के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय नीति हस्तक्षेप की सिफारिश करता है।
Dr. Debolina Kundu, निदेशक, National Institute of Urban Affairs (NIUA): "भारत का वर्तमान शहरी प्रक्षेपवक्र और आर्थिक विकास, कम कार्बन और गर्मी प्रतिरोधी भविष्य को आकार देने का एक ऐसा अवसर प्रस्तुत करता है जो पीढ़ी में केवल एक बार ही मिलता है। 2050 तक इमारतों की संख्या दोगुनी से अधिक होने के अनुमान के साथ, RMI के साथ साझेदारी में प्रकाशित यह रिपोर्ट, शुद्ध-शून्य कार्बन इमारतों की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करते हुए पहले किए गए के कामों पर आधारित है और इस क्षेत्र के लिए प्रमुख डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। हम आशा करते हैं कि यह प्रयास वैल्यू चेन में हितधारकों को सशक्त बनाएगा, जिससे भारत के भवन निर्माण क्षेत्र को जलवायु-अनुकूल, ऊर्जा कुशल और समतापूर्ण भविष्य की ओर ले जाया जा सकेगा।"
RMI India की प्रबंध निदेशक, Akshima Ghate, ने कहा: "भारत अपनी विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां तेजी से हो रहे शहरीकरण और आर्थिक विकास के कारण वर्ष 2050 तक इसकी इमारतों की संख्या दोगुनी से अधिक हो जाएगी। यह क्षण जलवायु लक्ष्यों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार को संरेखित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। NIUA के साथ साझेदारी में विकसित, 'Build Right the First Time' में भवन निर्माण वैल्यू चेन में रणनीतिक, स्केलेबल हस्तक्षेपों का मार्गदर्शन करने के लिए एक डेटा-संचालित ब्लूप्रिंट प्रस्तुत किया गया है।"
यह रिपोर्ट आज नई दिल्ली स्थित, India Habitat Centre, में आयोजित "Heat Resilient and Low Carbon Housing in India" सम्मेलन में जारी की गई थी। इसका सह-प्रकाशन NIUA द्वारा किया गया था।
मीडिया संपर्क:
Leah Komos
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